ठोको ठोको
कल वो जिसने राहुल को, पप्पू का सा नाम दिया,
कल वो जिसने कांग्रेस को, मुन्नी सा बदनाम किया।
आज वही उस कुनबे में क्यों, गप्पू हो कर बैठा हैं,
खा कर चप्पल एक औरत से, कैसे मद में ऐठा है।।
देखो देखो ठोको ठोको, उसके मुँह पर जड़ो तमांचा,
काहे कथनी और करनी में, बदली राजनीति की भाषा।
वो निर्लज्ज गद्दारी कर के, बना कलंक सरदारों की,
तलवे क्यों चाटे झुक झुक कर, वो इतना नामदारो की।
क्या खोया क्या पायेगा, बस व्यर्थ ही पग को झुकाएगा,
गुरु कृति की शान सम्भालो, वो कौड़ी बदले जाएगा।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित १२/०५/२०१९ )