ठोकर
ठोकर
जो सिखाती है,
आगे बढ़ना।
ढकेलने से बचा लेती है,
गड्ढों में।
जिसमें भरी हुई है,
नीरसता,उबकाई,
तैयार है,
समा जाने को
अंतः मन में।
बचा लेगी
ठोकर,
जाने से
गड्ढों में।
ठोकर
जो सिखाती है,
आगे बढ़ना।
ढकेलने से बचा लेती है,
गड्ढों में।
जिसमें भरी हुई है,
नीरसता,उबकाई,
तैयार है,
समा जाने को
अंतः मन में।
बचा लेगी
ठोकर,
जाने से
गड्ढों में।