ठोकरों ने समझाया
जिदंगी की ठोकरों ने हमें यह समझाया,
देख अनामिका इतनी जल्दी,
नही करते है हर किसी पर विश्वास।
जैसे तुम दिल खोलकर ,
कर लेती हो हर किसी से बात।
ऐसे नही किया करते है,
हर किसी से अपने मन की बात।
आजकल हर इंसान पहने हुए है,
दोहरे चरित्र का नकाब।
सोचो ,समझों और तुम परखो,
फिर करो उससे अपने मन की बात।
जरूरी नही जो कड़वा बोले,
वो इंसान हो खराब।
सत्य हमेशा होता है कड़वा,
यह बोल गए हमारे बड़े-बुजुर्ग
लगाकर जिदंगी के अनुभव से
यह हिसाब-किताब।
आजकल शराफत का नकाब पहने,
मीठा बोलने वाले लोग ही
करते है ज्यादा विश्वासघात।
अनामिका