Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Aug 2024 · 1 min read

ठूँठ ……

ठूँठ ……

पहाड़ की ऊंची चोटी पर
अपने चारों तरफ
हरियाले वृक्षों से घिरा
मैं ठूँठ सा तन्हा खड़ा हूँ ।
कुछ वर्ष पूर्व
आसमानी बिजली ने
हर ली थी मेरी हरियाली
यह सोच कर कि
वो मेरे तन-बदन को
जर्जर कर मेरे अस्तित्व को
नेस्तनाबूद कर देगी ।

मगर
वक्त के साथ
अपने नंगे बदन पर
मैं मौसम के प्रहार सहते-सहते
एक मजबूत काठ में
परिवर्तित होता गया ।

आज मैं
आसमान से
अपनी विध्वंसक शक्ति का डंका बजाती
बिजली के सम्मुख
उसकी शक्ति को
धत्ता देता
मौन, निर्भीक
हर प्रहार को सहता
भय के हर बन्धन से मुक्त
ठूँठ के आवरण में
किसी शान्त योगी सा
स्थिर खड़ा हूँ
पहाड़ की ऊंची चोटी पर

सुशील सरना

45 Views

You may also like these posts

पहला ख्याल
पहला ख्याल
Sonu sugandh
मैं लिखता हूँ
मैं लिखता हूँ
DrLakshman Jha Parimal
मन मेरा हट किये बैठा है...
मन मेरा हट किये बैठा है...
Manisha Wandhare
" निर्लज्ज "
Dr. Kishan tandon kranti
हिंदी दलित साहित्य में बिहार- झारखंड के कथाकारों की भूमिका// आनंद प्रवीण
हिंदी दलित साहित्य में बिहार- झारखंड के कथाकारों की भूमिका// आनंद प्रवीण
आनंद प्रवीण
प्रेम भरे कभी खत लिखते थे
प्रेम भरे कभी खत लिखते थे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
डमरू घनाक्षरी
डमरू घनाक्षरी
seema sharma
तुम पथ भूल न जाना पथिक
तुम पथ भूल न जाना पथिक
Sushma Singh
जिस देश में युवाओं के पास शिक्षा की महज एक औपचारिकता ही रह ज
जिस देश में युवाओं के पास शिक्षा की महज एक औपचारिकता ही रह ज
Rj Anand Prajapati
Two Different Genders, Two Different Bodies And A Single Soul
Two Different Genders, Two Different Bodies And A Single Soul
Manisha Manjari
नज़ाकत को शराफ़त से हरा दो तो तुम्हें जानें
नज़ाकत को शराफ़त से हरा दो तो तुम्हें जानें
आर.एस. 'प्रीतम'
वक़्त और नसीब
वक़्त और नसीब
gurudeenverma198
.
.
*प्रणय*
कसूर
कसूर
महेश कुमार (हरियाणवी)
कत्थई गुलाब-शेष
कत्थई गुलाब-शेष
Shweta Soni
2834. *पूर्णिका*
2834. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जय जय अमर जवान
जय जय अमर जवान
Dr Archana Gupta
माँगती मन्नत सदा माँ....
माँगती मन्नत सदा माँ....
डॉ.सीमा अग्रवाल
अगर आपको किसी से कोई समस्या नहीं है तो इसमें कोई समस्या ही न
अगर आपको किसी से कोई समस्या नहीं है तो इसमें कोई समस्या ही न
Sonam Puneet Dubey
हल
हल
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
उम्र बीत गई
उम्र बीत गई
Chitra Bisht
शीर्षक - मेरा भाग्य और कुदरत के रंग
शीर्षक - मेरा भाग्य और कुदरत के रंग
Neeraj Agarwal
#संसार की उपलब्धि
#संसार की उपलब्धि
Radheshyam Khatik
वक्त ही सबसे बड़ा गुरु
वक्त ही सबसे बड़ा गुरु
ओनिका सेतिया 'अनु '
उठे ली सात बजे अईठे ली ढेर
उठे ली सात बजे अईठे ली ढेर
नूरफातिमा खातून नूरी
वक्त के साथ-साथ चलना मुनासिफ है क्या
वक्त के साथ-साथ चलना मुनासिफ है क्या
डॉ. दीपक बवेजा
दीवाना हर इंसान होगा
दीवाना हर इंसान होगा
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
'बेटी'
'बेटी'
Godambari Negi
*** हमसफ़र....!!! ***
*** हमसफ़र....!!! ***
VEDANTA PATEL
एक सरल प्रेम की वो कहानी हो तुम– गीत
एक सरल प्रेम की वो कहानी हो तुम– गीत
Abhishek Soni
Loading...