ठीक नही
खूब चाहा हमसे पर होता नही।
उसके दिल में अपना घर होता नही।।
मैं तेरा सर काँधे पे रखता सनम।
इस पे गर ये मेरा सर होता नही।।
हर किसी को जख्म दिखलाते रहे।
हर कोई तो चारागर होता नही।।
प्यार करना तो बहुत आसान है।
दिल का सौदा हमसे पर होता नही।
मायने मेहमानवाजी की सिखाता।
घर मेरा जर्जर अगर होता नही।।
शहर मेरे पहले तू भी गांव था।
जन्म से कोई शहर होता नही।।
“बेशर्म” जबसे हुए हैं हम विजय।
मौत का भी हमको डर होता नही।।