ठाकुर! पकड़ कलम, और कर दे रस का संचार ।
जब मैने देखा महामारी की मार,
झेल रहे लोग कर रहे हाहाकार,
तब दिल ने कहा, ठाकुर! पकड़ कलम,
और कर दे जन-जीवन में रस का संचार।।
मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
जिला- कटिहार (बिहार)
सं०- 9534148597
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