ठहर जा, एक पल ठहर, उठ नहीं अपघात कर।
ठहर जा एक पल ठहर,उठ नहीं अवसाद कर
नहीं अनमोल तन गंवा,उठ नहीं अपघात कर
श्रेष्ठ तन मानव का जीवन, व्यर्थ न वरबाद कर
जिसने दिया है जीवन,उस पर जरा विश्वास कर
अनमोल है उपहार उसका,तन का नहीं उपहास कर
आत्म हत्या करने से पहले,दिल में जरा विचार कर
फिर नई होगी सुबह, फिर बहारें आएंगी
आज दुख है, क्या हुआ, खुशियां भी कल तो आएंगी
दुख से अब बाहर निकल, कर्म पर विश्वास कर
ठहर जा एक पल ठहर,उठ नहीं अपघात कर
न बंद होते रास्ते, रूकता नहीं कोई काम है
जन्म से मृत्यु तक, मनुज जीवन तो एक संग्राम है
आखरी दम तक है लड़ना,उसी का पैगाम है
सोच ले मरने से पहले, ईश्वर का दिल में ध्यान कर
क्या उचित है ये कदम ,खुद तो जरा विचार कर
ठहर जा एक पल ठहर, उठ नहीं अपघात कर
छोड़ चिंता और निराशा, उठ आशा के दीप जला
कभी तो होगी सुबह, कमी तो होगा भला
ठहर जा एक पल ठहर जा,खुद में जरा विश्राम कर
जिंदगी दी है उसी ने, उठ उसी के नाम कर
ठहर जा एक पल ठहर,ये पल उसी के नाम कर
बंद कर आंखों की अपनी, सद्बुद्धि की अरदास कर
ठहर जा एक पल ठहर, उठ नहीं अपघात कर
मन चाहा नहीं होने से आजकल हर आयु वर्ग में आत्महत्या की प्रवृत्ति देखी जा रही है। अवसाद निराशा अज्ञान क़ोध द्वेष इत्यादि आवेश में, ऐसे विचार आते हैं, जिन्हें अपने आपको हृदय में विचार करना चाहिए। ईश्वर अवश्य ही सही रास्ता बता बहुमूल्य मनुष्य जीवन बचा अपघात का विचार मिटा देंगे और
ऐसे खतरनाक विचार समय के साथ टल जाएंगे।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी