ठहरी–ठहरी मेरी सांसों को
ठहरी–ठहरी मेरी सांसों को यूं बहकाया ना करो
भूल जाती हूं तुमको मैं दुनिया की भीड़ में
यू तन्हाई में याद ना आया करो
जी रहे है हम अपनी ही शर्तों पे
तुम भी जी लो अपनी ख्वाइशों पे
मुस्कुराना ही जिंदगी है, ये सबक ले लिया है
तुम अश्क बन यूं, निगाहों में समाया ना करो
ठहरी–ठहरी मेरी सांसों को यूं बहकाया ना करो
वक्त के इशारों पे चलती है हसरते
तुम सपनो की बातों को ना आज़माया करो
ठहरी–ठहरी मेरी सांसों को यूं बहकाया ना करो
भूल जाती हूं तुमको मैं दुनिया की भीड़ में
यू तन्हाई में याद ना आया करो।