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12 Aug 2024 · 1 min read

ठहरी – ठहरी जिन्दगी,

ठहरी – ठहरी जिन्दगी,
थके – थके से पाँव ।
दूर कहीं दिखने लगा ,
अपना अन्तिम गाँव ।।

सुशील सरना / 12-8-24

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