ठगें सभी रिश्ते उसे
ठगें सभी रिश्ते उसे, ठगे उसे परिवार l
आज अकेले रो पड़ी, होकर वो लाचार ll
‘रीता’ वहांँ न जाइए, मिले जहांँ अपमान l
हर धन से होता बड़ा, है अपना सम्मान ll
बातें उनकी प्रिय लगें, उर में उनका वास l
कह दूंँ कैसे हे सखी, यह सुंदर अहसास ll
अंधभक्त बनना नहीं,कभी किसी का यार l
चल पड़ता इससे किसी, बाबा का व्यापार ll
कपटी, दंभी, लालची ,अपना करें बखान l
बातों से इनकी लगे, ये है बड़े महान ll
जिस घर में पूजें सभी, गौरी – पुत्र गणेश l
वास वहांँ आकर करें,ब्रह्मा विष्णु महेश ll
रीता यादव