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28 Mar 2020 · 1 min read

ठगा का ठगा रह गया

ठगा का ठगा रह गया
******************

जोड़ा माया का खजाना
धरा का धरा ही रह गया
संकट की घड़ी में इंसान
घर में बंद पड़ा रह गया

सारा थम गया ज़माना
कहीं पर आना ना जाना
दरिया का मेंढक कूंए में
फंसा का फंसा रह गया

नहीं लगते यारों के मेले
ना मिलते गुरु और चेले
दिन – रात, संध्या सवेरे
बिस्तर पे पड़ा रह गया

काम-धंधों का सफाया
जो भी था सब लगाया
हाथ कुछ भी ना आया
खुला हाथ धरा रह गया

जो भी थे अपने बैगाने
नहीं रहे दर ना ठिकाने
प्रवासी जन जो बेचारे
पथ पर खड़ा रह गया

सुखविन्द्र भी बेसहारा
भटकता है मारा मारा
गली में घर ना चौबारा
ठगा का ठगा रह गया

सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
1 Comment · 205 Views
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