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1 Mar 2023 · 1 min read

एक ठंडी पेड़ की छाया।

कुछ दिन पहले एक पेड़ के नीचे,
मुझे लगा बहुत ही अच्छा,

मुझसे कुछ वो बोला नहीं पर,
लगा बड़ा ही सच्चा,

बस यूं ही उसको देख के मैं,
उसकी ओर चला आया,

तपती धूप में सुकून के जैसी,
थी ठंडी उसकी छाया,

मेरा कहा उसने सुना हो शायद,
शायद समझी हो मेरी भाषा,

मुझे तो सिखाई बिन बोले उसने,
निःस्वार्थ प्रेम की परिभाषा,

उस जैसा मैं भी बन पाऊँ,
बन सकूं एक ठंडी छाया,

काश कि बन जाए स्वभाव ये मेरा,
एक ठंडी पेड़ की छाया।

कवि-अम्बर श्रीवास्तव।

Language: Hindi
112 Views
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