****** ट्रेन पल में जा भिड़ी *****
****** ट्रेन पल में जा भिड़ी *****
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ट्रेन पल में जा भिड़ी चलती ट्रेन में,
मौत सीने आ लगी चलती ट्रेन में।
सुंदर सुहाने सफऱ मे क्या हो गया,
ख्वाब चकनाचूर थे चलती ट्रेन में।
काम ढूंढने जा रहे कुछ राजी खुशी,
बीच अधर लटक गये चलती ट्रेन में।
मंदिर था पास मे हुआ नहीं बचाव,
प्रभु भी मुख मोड़ गये चलती ट्रेन में।
खुशी खुशी जा रहे अपने देश प्रदेश,
बैठे बैठाये चल दिये चलती ट्रेन में।
सोये खोये जागते धुन में थे मशगूल,
चीख चित्कार मच गये चलती ट्रेन में।
हाल देख हालात का हुआ बुरा हाल,
मृत के ऊपर मृत पड़े चलती ट्रेन में।
बाल,बूढ़े,जवान,नर और कोई नारी,
मृत्यु को गले जा लगे चलती ट्रेन में।
परिवार लुट गये लुटी खुशियाँ अपार,
जिंदा जन बिछड़ गये चलती ट्रेन में।
यात्रीगण यात्रा में खूब था उल्लास,
लाशों के जा ढेर लगे चलती ट्रेन में।
तकनीकी कमी थी या ईश्वर प्रकोप,
सैंकड़ों लोग चल बसे चलती ट्रेन में।
हादसों का देश है मेरा भारत महान,
क्या कुछ कम् पाएंगे चलती ट्रेन में।
सरकारों की खामियाँ भुगतते लोग,
सरकारी बली जा चढ़े चलती ट्रेन में।
मनसीरत श्रद्धांजली जो गये सिधार,
स्वर्ग धाम शांति मिले चलती ट्रेन में।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)