ट्रेजरी का पैसा
पैसे आये होंगे बहुत
पर ट्रेजरी का आना आना है
इन पैसों की शानी नही
अब तो बंदा मनमाना हैं
संघर्ष के काले बादल का
सावन का पानी आना हैं
उन कमरो को याद करो
जिसका साधा ये निशाना हैं
आते आकर बातें करते
कि मुँह की ना खाना हैं
धैर्य धरे आप ना खोये
मेवा तो पाना ही पाना हैं
मूर्खो को पैसे से तौला
साधक का ताना बाना है
हर बार जीत हम मीत की
सुखका अब नहीं ठीकाना है
जौहर में तो आगे है ही
किसको अब क्या बताना हैं
पढ़ के पाया है ख्वाबो को
बस माता को गले लगाना है
ख्वाब मिले कुछ मीत मिले
अब तय दुःख का जाना है
हम साथ रहें आबाद रहें
मित्रो का यही फसाना हैं
शब्द नही हैं मेरे पास
कविता को कैसे सजाना हैं
अतिरेकी सज्जे को छोड़ो
अब काया कल्प कराना है
तुच्छ नही समझेजाएँगे
पैसे जो ट्रेजरी से आना है
कष्ठ सहे ताने खाये
अब कहे का शर्माना है
🙏🙏 महेंद्र राय🙏🙏