Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Sep 2016 · 3 min read

टॉलेमी के सच्चे वंशज

#टॉलेमी_के_सच्चे_वंशज

टूटते तारों के विषय में वैज्ञानिक कारण जो भी हो उसमें हमारा कोई इंटरेस्ट नहीं है उससे हमें कोई लेना देना नहीं,, साहब, हमारी मुर्गी की तो तीन टाँग है और तीन तब तक रहेगी जब तक किसी शाम हम एक टांग को बतौर चखना नहीं डकार जाते हैं ,,,

टूटते तारे को लेकर दुनिया भर में तमाम तरह की भ्रांतियां, अवधारणाएं और कपोल कल्पित कहानियाँ प्रचलित हैं, किसी देश में इसे शुभ तो कहीं इसे अशुभ माना जाता है ,,, मतबल जितनी मुँह उतनी बातें नहीं ,,,, जितने देश उतनी बातें ,,,

जनाब हम ठहरे भारतीय वो भी ठेठ वाले तो कहानी किसी भी विषय की हो अव्वल तो अपनी ही होगी, क्योंकि हमें तो बचपन में ही स्वास्थ्य संबंधी टीकों(वैक्सीन) के साथ एक टीका जुगाड़ का(अपना काम किसी और से करवाने के हुनर का) लगवा दिया जाता है ..
और जिंदगी भर हम अपने दोस्त यार नाते रिश्तेदारों से इस जुगाड़ नामक मन्त्र से अपने wish पुरे करते रहते हैं और यदि कभी इनके बूते से बाहर का कोई काम रहा तो एक दूसरा जुगाड़ भी हमारे पास 24 X 7 उपलब्ध है, जिन्हें भगवान् के नाम से जाना जाता है जुगाड़ू भक्तों द्वारा इन्हें रिश्वत देकर अपना काम निकालने की परंपरा आदिकालीन रही है ,,,(ये जुगाड़ काम भी करता है मैंने एक बार क्रिकेट मैच के दौरान इंडिया को हार से बचाने के लिए आजमाया था लेकिन कब करेगा कब नहीं इसका दावा मैं क्या कोई भी नहीं कर सकता),,, और यदि आपके पास रिश्वत के लिए भी कुछ नहीं है तो निराश मत होईये एक और जुगाड़ है, #टूटते_तारे हाँ ये बात और है कि इसमें कई रात जागना पड़ता है टकटकी लगाए आसमान को रात भर ताकना भी पड़ता है और एक कुशल बल्लेबाज़ की तरह टूटते तारे को देख आँख बंद कर टाइमिंग से WISH(मन्नत) का सिक्सर लगाना पड़ता है वो भी बावंसर पर क्योंकि ये गेंद कभी फुलटॉस या ओवर पिच नहीं मिलती ,,,

और यह #टूटते_तारे नामक जुगाड़ हमें प्राप्त हुआ है ग्रीक खगोलविद टोलेमी से जिन्होंने दूसरी सदी में एक अनोखा सिद्धांत पेश किया था कि ,,, आसमान में अपनी अलग दुनिया में विराजे देवता कभी-कभी उत्सुकता या फिर बोरियत के चलते हम मनुष्यों के संसार यानी पृथ्वी पर निगाह डाल देते हैं। इस दौरान दोनों लोकों के बीच का झरोखा कुछ पल के लिए खुल जाने की वजह से वहां के कुछ तारे गिरकर धरती की ओर आने लगते हैं। चूंकि यही वह वक्त होता है, जब देवताओं की नजरें हमारे लोक पर और हम पर इनायत होती हैं, सो इस क्षण में मांगी जाने वाली Wish(मन्नत) की उन तक पहुंचने और पूरी होने की संभावना बढ़ जाती है ,,

आज इक्कीसवीं सदी में इस सिद्धांत पर किस देश के लोग कितना ऐतबार करते हैं नहीं मालूम लेकिन दावे के साथ यह कह सकता हूँ सबसे ज्यादा ऐतबार हम भारतीय ही करते हैं वजह आपको भी मालूम है हुज़ूर,,, वही अपना काम किसी और से कराने का विरासत में प्राप्त नैसर्गिक गुण ,,

लेकिन Wish(मन्नत) मांगने और उसमें शत प्रतिशत सफलता प्राप्त करने का रिकार्ड तो हमारे बॉलीवुड वालों का है ,,, भले ही फिल्म असफल हो गयी हो लेकिन फिल्म में टूटते तारे को देख कर मांगी गयी मन्नत किसी भी फिल्म में असफल नहीं हुई ,,, सचमुच इस लिहाज से कहें तो हमारे बॉलीवुड वाले ही टॉलेमी के सच्चे वंशज हैं ..!!!

#जितेन्द्र_जीत

Language: Hindi
505 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बगुले ही बगुले बैठे हैं, भैया हंसों के वेश में
बगुले ही बगुले बैठे हैं, भैया हंसों के वेश में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जब बातेंं कम हो जाती है अपनों की,
जब बातेंं कम हो जाती है अपनों की,
Dr. Man Mohan Krishna
कभी महफ़िल कभी तन्हा कभी खुशियाँ कभी गम।
कभी महफ़िल कभी तन्हा कभी खुशियाँ कभी गम।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
........,?
........,?
शेखर सिंह
नाम बदलने का था शौक इतना कि गधे का नाम बब्बर शेर रख दिया।
नाम बदलने का था शौक इतना कि गधे का नाम बब्बर शेर रख दिया।
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
कुण्डलिया-मणिपुर
कुण्डलिया-मणिपुर
दुष्यन्त 'बाबा'
संघर्ष ज़िंदगी को आसान बनाते है
संघर्ष ज़िंदगी को आसान बनाते है
Bhupendra Rawat
*फूलों मे रह;कर क्या करना*
*फूलों मे रह;कर क्या करना*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जो दिल दरिया था उसे पत्थर कर लिया।
जो दिल दरिया था उसे पत्थर कर लिया।
Neelam Sharma
वक़्त आने पर, बेमुरव्वत निकले,
वक़्त आने पर, बेमुरव्वत निकले,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
वैसा न रहा
वैसा न रहा
Shriyansh Gupta
"चरित्र-दर्शन"
Dr. Kishan tandon kranti
व्यक्तिगत न्याय
व्यक्तिगत न्याय
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अच्छा इंसान
अच्छा इंसान
Dr fauzia Naseem shad
जीवनसाथी
जीवनसाथी
Rajni kapoor
2704.*पूर्णिका*
2704.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सिर्फ अपना उत्थान
सिर्फ अपना उत्थान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
हर पिता को अपनी बेटी को,
हर पिता को अपनी बेटी को,
Shutisha Rajput
मछली कब पीती है पानी,
मछली कब पीती है पानी,
महेश चन्द्र त्रिपाठी
रंगरेज कहां है
रंगरेज कहां है
Shiva Awasthi
मेरा तोता
मेरा तोता
Kanchan Khanna
हनुमानजी
हनुमानजी
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
भूल भूल हुए बैचैन
भूल भूल हुए बैचैन
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
अनुभव के आधार पर, पहले थी पहचान
अनुभव के आधार पर, पहले थी पहचान
Dr Archana Gupta
बोलो क्या कहना है बोलो !!
बोलो क्या कहना है बोलो !!
Ramswaroop Dinkar
****हमारे मोदी****
****हमारे मोदी****
Kavita Chouhan
अच्छी-अच्छी बातें (बाल कविता)
अच्छी-अच्छी बातें (बाल कविता)
Ravi Prakash
कितना अच्छा है मुस्कुराते हुए चले जाना
कितना अच्छा है मुस्कुराते हुए चले जाना
Rohit yadav
दीवानगी
दीवानगी
Shyam Sundar Subramanian
Loading...