Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jul 2021 · 2 min read

टैम नहीं है

“अरे काकी, इतनी जल्दबाजी में कहाँ जा रही हो? आओ,एक कप चाय पी लो।” नेहा ने कहा।
“कहीं नहीं बिटिया,बस दुकान तक जा रही हूँ,थोड़ा सामान लाना है। अभी टैम नहीं है,फिर कभी आकर बैठूँगी,तब चाय पिऊँगी।”यह कहते हुए रमा काकी रुक गईं।
नेहा ने कहा, “काकी सुना है आजकल आपकी बड़की बहू मायके गई हुई है।अब तो आपको आराम होगा।छुटकी बहू खूब सेवा कर रही होगी।”
“नहीं बिटिया, वह तो दिन भर फोन पर ही लगी रहती है।पता नहीं, मायके वालों से क्या गुर सीखती रहती है।जब तक बड़की बहू थी तब तक तो मेरा ध्यान ही इसकी तरफ नहीं जाता था।उसी से दिन भर खटर पटर होती रहती थी।अब समझ में आ रहा है,यह भी कुछ कम नहीं है उससे।”
नेहा समझ गई रमा काकी अब पूरी तरह बात करने के मूड में हैं।उसने रमा काकी को छेड़ते हुए कहा, काकी सुना है ,आपके पड़ोस वाले गुप्ता जी बड़ी बेटी …..
“कुछ न पूछो बिटिया,जो सुना है वह ठीक ही है। मैं तो रोज़ देखती हूँ।सुबह नौ बजे बैग लटकाकर निकल जाती है और दिन ढले वापस आती है। पता नहीं आफिस में ऐसा कौन-सा काम करती है जो पूरा दिन वही निकल जाता है। उसके बाप को भी तो सोचना चाहिए कि बिटिया जवान हो गई है उसकी शादी करके अपने घर विदा करें।जब माँ-बाप ध्यान नहीं देंगे तो बच्चे तो उसका फायदा उठाएँगे ही।”
“अरे काकी, क्या बात कर रही हो? ये बात सही है क्या?”
“दुलहिन, हम बिल्कुल सही कह रहे हैं। हम तो रोज देखते हैं। हम तो अपने दरवाजे पर कुर्सी पर बैठे-बैठे सब देखते रहते हैं? हमने भी दुनिया देखी है।उड़ती चिड़िया के पर गिन लेती हूँ। तुमसे झूठ काहे बोलेंगे।”
इसी बीच नेहा ने अपने कमरे की सामने की दीवार पर लगी घड़ी की ओर देखा तो पता चला कि रमा काकी पिछले डेढ़ घंटे से प्रपंच कर रही हैं ।कह रही थीं कि टैम नहीं है।तभी रमा काकी का ध्यान भी सामने लगी घड़ी पर गया और बोली बिटिया, बहुत देर हो गई फिर कभी आऊँगी तो आराम से बात करूँगी,अभी चलती हूँ।
डाॅ बिपिन पाण्डेय

Language: Hindi
1 Like · 230 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पड़ोसन के वास्ते
पड़ोसन के वास्ते
VINOD CHAUHAN
सहारा...
सहारा...
Naushaba Suriya
मुस्कुराना जरूरी है
मुस्कुराना जरूरी है
Mamta Rani
कड़वी बात~
कड़वी बात~
दिनेश एल० "जैहिंद"
जो रिश्ते दिल में पला करते हैं
जो रिश्ते दिल में पला करते हैं
शेखर सिंह
हम
हम
Ankit Kumar
पता नहीं कब लौटे कोई,
पता नहीं कब लौटे कोई,
महेश चन्द्र त्रिपाठी
मत भूल खुद को!
मत भूल खुद को!
Sueta Dutt Chaudhary Fiji
क्योंकि मैं किसान हूँ।
क्योंकि मैं किसान हूँ।
Vishnu Prasad 'panchotiya'
जो पहले ही कदमो में लडखडा जाये
जो पहले ही कदमो में लडखडा जाये
Swami Ganganiya
श्री गणेशा
श्री गणेशा
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
काल का स्वरूप🙏
काल का स्वरूप🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दोहे
दोहे
Santosh Soni
आज बहुत याद करता हूँ ।
आज बहुत याद करता हूँ ।
Nishant prakhar
वास्ते हक के लिए था फैसला शब्बीर का(सलाम इमाम हुसैन (A.S.)की शान में)
वास्ते हक के लिए था फैसला शब्बीर का(सलाम इमाम हुसैन (A.S.)की शान में)
shabina. Naaz
महान कथाकार प्रेमचन्द की प्रगतिशीलता खण्डित थी, ’बड़े घर की
महान कथाकार प्रेमचन्द की प्रगतिशीलता खण्डित थी, ’बड़े घर की
Dr MusafiR BaithA
यूं ही नहीं कहलाते, चिकित्सक/भगवान!
यूं ही नहीं कहलाते, चिकित्सक/भगवान!
Manu Vashistha
गजल सी रचना
गजल सी रचना
Kanchan Khanna
इंसानियत का कत्ल
इंसानियत का कत्ल
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
" हर वर्ग की चुनावी चर्चा “
Dr Meenu Poonia
*बदलता_है_समय_एहसास_और_नजरिया*
*बदलता_है_समय_एहसास_और_नजरिया*
sudhir kumar
सड़क
सड़क
SHAMA PARVEEN
आ रहे हैं बुद्ध
आ रहे हैं बुद्ध
Shekhar Chandra Mitra
*जिन्होंने बैंक से कर्जे को, लेकर फिर न लौटाया ( हिंदी गजल/
*जिन्होंने बैंक से कर्जे को, लेकर फिर न लौटाया ( हिंदी गजल/
Ravi Prakash
शब्दों से बनती है शायरी
शब्दों से बनती है शायरी
Pankaj Sen
2859.*पूर्णिका*
2859.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सैलाब .....
सैलाब .....
sushil sarna
चिंतन और अनुप्रिया
चिंतन और अनुप्रिया
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
शून्य ही सत्य
शून्य ही सत्य
Kanchan verma
मरहटा छंद
मरहटा छंद
Subhash Singhai
Loading...