टैगोर
राष्ट्रगान रचने वाले, एकला चलने वाले,
मानवता जन सेवा हित करने वाले।
दीन दुखियों के तुम नवनीत किरण,
करता है “अमन” कोटि कोटि-कोटि तुम्हें नमन।
जिस धरती ने रविंद्र लाल दिया,
भारत को मालामाल किया।
रचा गीतांजलि सा ग्रंथ महान,
मिला नोबेल विजेता का सम्मान।
संगीत काव्य, कला, संस्कृति,
मानवता का पुजारी ,
गुरुदेव तुम्हें स्मरण समर्पित
करता हूं।
हे जन गन के अधिनायक,
श्रद्धांजलि तुम्हें अर्पित करता हूं।
दीन दुखियों के तुम नवनीत किरण,
करता है “अमन” कोटि-कोटि तुम्हें नमन।
जल रही है तुम्हारी धरती,
रक्तरंजित हो लाल है धरती।
“गुरुदेव” की प्यारी धरती,
मानवता की न्यारी धरती।
गुरुदेव लो तुम पुण: पवित्र अवतार,
दूर करो कुचक्र अंधकारमय पारावार।
सरस्वती के तुम वरद पुत्र, हर रस के तुम ज्ञाता महान,
कलाप्रेमी तुम शब्दों से खींच देते जड़ में भी प्राण।
दीन दुखियों के तुम नवनीत किरण,
करता है “अमन” कोटि-कोटि तुम्हें नमन।