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6 Apr 2023 · 4 min read

* संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक समीक्षा* दिनांक 6 अप्रैल

* संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक समीक्षा* दिनांक 6 अप्रैल 2023 बृहस्पतिवार
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आज दूसरा दिन रहा । बालकांड के दोहा संख्या 15 से पाठ का आरंभ हुआ । प्रातः 10:00 से 11:00 तक कार्यक्रम चला । श्रीमती मंजुल रानी का विशेष सहयोग रहा।
बालकांड दोहा संख्या 15 से 36 तक
राम-नाम की महिमा
रवि प्रकाश ने इस अवसर पर कहा कि आज श्री हनुमान जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में संयोगवश सोरठा संख्या 17 बालकांड हनुमान जी को प्रणाम निवेदित करने के लिए समर्पित है। सोरठा प्रसिद्ध है :-
प्रनवउॅं पवन कुमार, खल बन पावक ग्यान घन ।
जासु हृदय आगार, बसहिं राम सर चाप धर।।
उपरोक्त पंक्तियों के माध्यम से गोस्वामी तुलसीदास जी ने पवन कुमार अर्थात श्री हनुमान जी को प्रणाम किया है और कहा है कि यह हनुमान जी दुष्टों को भस्म करने वाले अग्नि स्वरूप हैं जिनके हृदय में भगवान राम सदैव बसते हैं । भगवान राम का स्वरूप धनुष-बाण हाथ में लिए हुए हनुमान जी के हृदय में सुशोभित है । ऐसे हनुमान जी को प्रणाम करने का सौभाग्य आज रामचरितमानस-पाठ के दूसरे दिन हमें हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर प्राप्त हो रहा है, यह हमारा सौभाग्य है । इसी क्रम में थोड़ा आगे बढ़ने पर यह पंक्तियां मिलती हैं :-
जनकसुता जग जननि जानकी। अतिशय प्रिय करुणानिधान की।।
ताके जुग पद कमल मनावउॅं। जासु कृपा निर्मल मति पावउॅं ।।
उपरोक्त पंक्तियों में सीता जी की वंदना निवेदित है।
वास्तव में बालकांड का यह जो आज का प्रसंग है, वह राम के नाम के महत्व को प्रतिपादित करने वाला है । तुलसी ने अनेकानेक स्थलों पर बार-बार इस बात को दोहराया है। श्री राम का नाम वास्तव में स्वयं राम की महिमा से भी बढ़कर है ।
‌ दोहा संख्या 23 में तुलसीदास ने अपना स्पष्ट विचार लिख दिया कि राम का नाम राम से भी बड़ा होता है :-
कहउॅं नाम बड़ राम तें, निज विचार अनुसार
तुलसीदास ने दोहा संख्या 21 में राम-नाम की प्रशंसा मुक्त कंठ से इस प्रकार की है:-
राम नाम मणिदीप धरु, जीह देहरीं द्वार । तुलसी भीतर बाहेरहॅं, जौं चाहसि उजियार।।
अर्थात यदि कोई व्यक्ति अपने भीतर और बाहर के संसार को प्रकाशमय करना चाहता है तो उसे राम का नाम, जो मणि दीपक के समान है, जिह्वा पर हमेशा रखना चाहिए।
राम से भी राम का नाम अधिक प्रभावशाली है, इस बात को बालकांड के दोहा संख्या 23 में अनेक प्रकार से समझाया गया है । एक स्थान पर तुलसीदास लिखते हैं:-
राम एक तापस तिय तारी। नाम कोटि खल कुमति सुधारी
अर्थात एक तपस्वी स्त्री अहिल्या को तो स्वयं राम ने उद्धार किया था, लेकिन राम के नाम ने तो करोड़ों दुष्टों की बिगड़ी हुई मति को सुधार दिया है । अतः नाम की महिमा राम से कहीं अधिक है।
हनुमान प्रसाद पोद्दार ने अतिशय विद्वत्तापूर्वक रामचरितमानस की टीका लिखकर इसे सरल और बोधगम्य बना दिया है अन्यथा अर्थ को समझना पाठकों के लिए कठिन ही हो जाता । एक स्थान पर देखिए :-
राम नाम नरकेसरी, कनककसिपु कलिकाल । (दोहा संख्या 27)
यहां नरकेसरी का अर्थ नरसिंह भगवान से है तथा कनककसिपु का अर्थ हिरण्यकश्यप से है। इस अर्थ तक पहुंचना बिना टीका के शायद संभव नहीं हो पाता । टीकाकार हनुमान प्रसाद पोद्दार को जितना धन्यवाद दिया जाए, कम है।
वास्तव में श्रद्धा और विश्वास ही वह आधार-भूमि है जिस पर विराजमान होकर कोई व्यक्ति रामकथा के रस का आनंद प्राप्त कर सकता है। अन्यथा दोषदर्शी तथा कुतर्कतापूर्वक चीजों पर चिंतन करने वाला व्यक्तित्व कभी भी राम कथा से शांति प्राप्त नहीं कर पाएगा । इसी विचार को तुलसीदास जी ने इन शब्दों में लिखा है :-
राम अनंत अनंत गुण, अमित कथा विस्तार ।
सुनि अचरज न मानहिं, जिन्ह कें विमल विचार (दोहा संख्या 33)
रामचरितमानस की रचना किस समय की गई है, इसका वर्णन भी बालकांड के दोहा संख्या 33 वर्ग में उल्लिखित है। कवियों की यह परिपाटी रही है कि वह काव्यात्मकता के साथ ऐतिहासिक तथ्यों को अपनी रचना के मध्य में इस प्रकार से अंकित कर देते हैं कि उसके बारे में आगे चलकर कभी भी संशय की गुंजाइश नहीं रहती। तुलसीदास ने संवत 1631 में राम कथा कही थी । यहां संवत का अभिप्राय विक्रम संवत से ही है, जो रामकथा के भक्त समुदाय के बीच भारी जोर-शोर के साथ प्रचलित रहा है । इससे यह संशय भी मिट जाना चाहिए कि भारत का अपना पुराना संवत कौन सा रहा है ? निसंदेह यह विक्रम संवत ही है जिसने दो हजार वर्षों तक भारत के समस्त कालक्रम को अंकित किया है।
मधुमास अर्थात चैत्र महीने(शुक्ल पक्ष) की नवमी तिथि भौमवार अर्थात मंगलवार को अवधपुरी में यह रामचरित्र प्रकाश में आया। इस दिन श्रुति के अनुसार राम का जन्मदिन होता है। तुलसी लिखते हैं :-
संवत् सोलह सौ एकतीसा। करउॅं कथा हरि पद धरि सीसा।।

नौमी भौम बार मधुमासा। अवधपुरीं यह चरित प्रकासा।।
जेहिं दिन राम जनम श्रुति गावहिं। तीरथ सकल तहॉं चलि आवहिं
—————————————-
प्रस्तुति : रवि प्रकाश (प्रबंधक)
राजकली देवी शैक्षिक पुस्तकालय (टैगोर स्कूल), पीपल टोला, निकट मिस्टन गंज, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

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