“टूट रही है माला प्यारे”
झूठ बोलते,
आँख मरोरी,
हाथ को जोड़े,
सीना चौड़ा,
कन्धे गिरते,
त्वचा सिकुड़ती,
रक्त गर्म है,
लगी बीमारी,
ये दुनियादारी,
कितनी नारी,
देखी भारी,
आँख फुटाउ,
काँपे कंकाल,
कितने-कितने,
माया जाल,
रोज उमड़ते,
नए सवाल,
उत्तर कभी न,
मिलने पाया,
भोजन पाया,
स्वाद बनाया,
पेट को भाया,
शिक्षा बेकार,
उठे सवाल,
बीत गया भई,
बचपन प्यारा,
पहुँच गए पचपन,
घेर रहा है,
दुष्ट बुढापा,
आया चौखट,
फिर उठे सवाल,
जीते जी ढूंढें,
उत्तर इनके सब,
टूट रही है माला प्यारे,
एक बचा है,
मोती केवल,
कहता है बार-बार,
ईश भजन पर,
ध्यान दिया क्या।।
©अभिषेक पाराशर