टूट गया नीड़
टूट गया नीड़
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काट दिये
तुमने वे सारे वृक्ष घर
जिन पर
अपने भगीरथ श्रम से
हमने बनाये थे
घास-फूस के
छोटे-छोटे नीड़
अपने बच्चों के लिए,
उनमें रखे अंडे
गिरते ही टूट गये
कुछ में से निकले बच्चे
मृतप्राय पड़े हैं
पृथ्वी पर,
तुम इतने
निर्दयी, लोभी और
स्वार्थी कैसे हो सकते हो मानव!
कल्पना तो करके देखो
तुम्हारा प्रेम/विश्वास से बना घर
जिसमें रहता हो
तुम्हारा पूरा परिवार
तोड़ डाले कोई,
क्षत-विक्षत
मृत परिवार को
देखने का साहस जुटा सकोगे?
नहीं न,
तो एक पल को भी क्यों
हमारे लिए नहीं सोचा?
आकुल हुए
देख रहें हैं तुम्हें
अपना घर ले जाते हुए,
हृदय पर
हाथ रख सच कहना
एक अश्रु भी आया क्या
हमारा घर
निर्दयता से तोड़ते हुए….!!!!!!
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#डॉभारतीवर्माबौड़ाई