टूट कर भी धड़कता है ये दिल है या अजूबा है
टूट कर भी धड़कता है ये दिल है या अजूबा है
बहक कर फिर संभलता है ये दिल है या अजूबा है
मैं कुछ दिन रो नहीं पाऊँ तो दम सा घुटने लगता है
समंदर दर्द का रखता है दिल है या अजूबा है
अनगिनत ख़्वाब समेटे कोई किताब हो जैसे
नए पन्ने बदलता है ये दिल है या अजूबा है
मेरा बेबाक़ हो जाना हो या ख़ामोश हो जाना
इसे कई बार खलता है ये दिल है या अजूबा है
उम्र के साथ यूँ तो ये भी बूढ़ा हो रहा होगा
क्यूँ बच्चों सा मचलता है ये दिल है या अजूबा है
रोज़ सो जाता है आँखों को यूँ ही अलविदा कह कर
शमा के संग जलता है ये दिल है या अजूबा है
कभी आ जाता है होटों पे यूँ ही बन के अफ़साना
बन के आँसू ढलकता है येदिल है या अजूबा
है
जगा के पीर मोहन की बना राधा सा दीवाना
कृष्ण सा रूह में पलता है दिल है या अजूबा है
कंचन