टूटे अरमान
टूटे अरमान ये कहने लगे।
हिम्मत नही इसलिए सहने लगे।
जरा सी चोट लगी आंसू बहने लगे।
पत्थर थे कि वो कब डहने लगे।।
गुजारिश थी कि मेरे हाल पर छोड़ दो।
थी जो बंदिशे आज उन्हे तोड़ दो।।
पर मंजूर ये सब हालातों को ना था।
उजड़ी बस्ती के जज्बातों को ना था।।
दौर को आज दौर ने ही छीन लिया।
इंसान को इंसान ने ही कमजोर किया।।