टूटा हुआ द़िल
जब दिल ही टूट गया तो द़र्दे द़िल की आवाज निकलेगी कैसे ?
प्यार का दामन छूट गया है तो इश्क की मंजिल मिलेगी कैसे ?
अब भटकता है मन, भटकता है दिल ,भटकती है रू़ह कर रही अपनी मंजिल की तलाश।
बेचैन सी खोजती है उसे जो अब तक थी उसके आसपास ।
साज़े द़िल जब टूट गया है खुश़ी के तऱानों की जगह ग़मे इश्क की रू़दाद़ ही निकलेगी ।
बनेगा मा़हौल ग़मगी़न और ज़ेहन मे बीते ल़म्हों के यादों की बारात निकलेगी ।