Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Feb 2022 · 1 min read

टूटना

अप्रत्याशित संभावनाओं
से भर जाता है
मन मुकुर पर अमिट रेख
खींच जाता है
जब कोई शीशा टूटे
टूटना कैसा भी हो
दुखी करता है
चाहे वो प्रेम में दिल टूटे
या किसी से सम्बन्ध टूटे ।

अंग प्रत्यंग टूटे तब भी
देह कष्ट पाती है
अपने से नाता टूटे तब भी
आत्मा रोती है
जाए तो अपनों से दूर तब भी
सम्पर्क टूटता है
दिल से दिल रूठ खफा होता
सब कुछ नष्ट हो जाता है ।

टूटना ही शायद प्रीति है
यही जगत की रीति है
दो प्रेमी पास आते है शायद
अन्त में बिछुड़ने के लिए
टूट जाने के लिए ही
पंच तत्वों से बनी देह को
पंच तत्वों में मिलाने के लिए
यहीं सफर है जिन्दगी का शायद ।

Language: Hindi
65 Likes · 584 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR.MDHU TRIVEDI
View all
You may also like:
लुटा दी सब दौलत, पर मुस्कान बाकी है,
लुटा दी सब दौलत, पर मुस्कान बाकी है,
Rajesh Kumar Arjun
जिंदगी
जिंदगी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वक्त, बेवक्त मैं अक्सर तुम्हारे ख्यालों में रहता हूं
वक्त, बेवक्त मैं अक्सर तुम्हारे ख्यालों में रहता हूं
Nilesh Premyogi
राह बनाएं काट पहाड़
राह बनाएं काट पहाड़
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
भूल भूल हुए बैचैन
भूल भूल हुए बैचैन
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
..
..
*प्रणय प्रभात*
"कर्म में कोई कोताही ना करें"
Ajit Kumar "Karn"
रमेशराज के पशु-पक्षियों से सम्बधित बाल-गीत
रमेशराज के पशु-पक्षियों से सम्बधित बाल-गीत
कवि रमेशराज
जल बचाओ , ना बहाओ
जल बचाओ , ना बहाओ
Buddha Prakash
*क्षीर सागर (बाल कविता)*
*क्षीर सागर (बाल कविता)*
Ravi Prakash
बुंदेली चौकड़िया- पानी
बुंदेली चौकड़िया- पानी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*चले आओ खुली बाँहें बुलाती हैँ*
*चले आओ खुली बाँहें बुलाती हैँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
3984.💐 *पूर्णिका* 💐
3984.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कड़वा सच
कड़वा सच
Sanjeev Kumar mishra
ਅੱਜ ਕੱਲ੍ਹ
ਅੱਜ ਕੱਲ੍ਹ
Munish Bhatia
मैने यह कब कहा की मेरी ही सुन।
मैने यह कब कहा की मेरी ही सुन।
Ashwini sharma
मुझे भी तुम्हारी तरह चाय से मुहब्बत है,
मुझे भी तुम्हारी तरह चाय से मुहब्बत है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हाथ पताका, अंबर छू लूँ।
हाथ पताका, अंबर छू लूँ।
संजय कुमार संजू
निगाहे  नाज़  अजब  कलाम  कर  गयी ,
निगाहे नाज़ अजब कलाम कर गयी ,
Neelofar Khan
तेरी नाराज़गियों से तुझको ठुकराने वाले मिलेंगे सारे जहां
तेरी नाराज़गियों से तुझको ठुकराने वाले मिलेंगे सारे जहां
Ankita Patel
बगुले ही बगुले बैठे हैं, भैया हंसों के वेश में
बगुले ही बगुले बैठे हैं, भैया हंसों के वेश में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
"मोल"
Dr. Kishan tandon kranti
गुज़रा है वक्त लेकिन
गुज़रा है वक्त लेकिन
Dr fauzia Naseem shad
कविता
कविता
Rambali Mishra
व्यंग्य कविता-
व्यंग्य कविता- "गणतंत्र समारोह।" आनंद शर्मा
Anand Sharma
जरूरी है
जरूरी है
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
Wishing you a Diwali filled with love, laughter, and the swe
Wishing you a Diwali filled with love, laughter, and the swe
Lohit Tamta
जबकि ख़ाली हाथ जाना है सभी को एक दिन,
जबकि ख़ाली हाथ जाना है सभी को एक दिन,
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
Loading...