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12 May 2024 · 1 min read

टुकड़े-टुकड़े दिन है बीता, धज्जी-धज्जी सी रात मिली

टुकड़े-टुकड़े दिन है बीता, धज्जी-धज्जी सी रात मिली,
जिसका जितना दामन था, उसको उतनी सौगात मिली!!

बीते हुए उन सालों से पूछो, किसको कितना प्यार हुआ,
थोड़ी ही खुशियों की खातिर, अपनों से कितना रार हुआ!!

नजराना जिसने पेश किया, उसको उतनी अरदास मिली!
जिसका जितना दिल था टूटा, कितनी असुवन की धार मिली!!

आने वाली क्षण भर स्वप्न में, सुरमयी उसको नींद मिली,
मंज़िल पर विश्वास था जिनको, राहों में पत्थर कांटे ही मिली!!

चलते चलते भूल ना जाना, हम जैसे प्यारे बेचारों को,
आपसे मिलना संजोग था ठहरा, सच्चे रिश्तों सी दौलत ही मिली!!

नया साल और नया सवेरा, जुगनू से रातें रोशन होगी,
नई दुनिया और नई ज़िंदगी, हर पल, हर क्षण खुशियां ही मिली!!

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

Language: Hindi
56 Views
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