टिम टिम दीप
दिनकर चला
गया अस्ताचल
सिमट गया किरणों
का आँचल
हारे थके चोंच
ले दाने
खग कुल लौटे
सांझ सकारे
टिम टिम दीप जले मेरे द्वारे
करती नित
संध्या का वंदन
रजनी का करती
अभिनंदन
जग को गहरी
नींद स्वप्न दे
मातृ नेह सा
मधुर दुलारे
टिम टिम दीप जले मेरे द्वारे
दुग्ध धवल
शशि लगा दमकने
लेकर आये फ़ौज
चमकने
हीरे मोती की
लड़ियों से
नीलगगन में
अगणित तारे
टिम टिम दीप जले मेरे द्वारे