*इतरा रहा दीवार पर, टाँगा कलैंडर जो गया (गीत)*
इतरा रहा दीवार पर, टाँगा कलैंडर जो गया (गीत)
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इतरा रहा दीवार पर, टाँगा कलैन्डर जो गया
(1)
राजा कहो रानी कहो ,फिल्मी सितारों-सी अदा
अभिनंदनों की ढेर-सी अभिव्यक्तियों से है लदा
जग से मिले शुभ हर्षमय आभार से भर जो गया
(2)
बीता कलैन्डर देखता दीवार से उतरा हुआ
बोला यही होता है उसका हाल जो गुजरा हुआ
कब पूछते उसको ,अनुपयोगी हुआ मर जो गया
(3)
दीवार पर ही थी घडी टिक-टिक दिखी करती अभी
बोली न मैं नूतन – पुरातन भाव से डरती कभी
अविचल समय मैं एक शाश्वत हूँ न आकर जो गया
इतरा रहा दीवार पर टाँगा कलैन्डर जो गया
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उ.प्र..) मोबाइल – 9997615451