टपरी वाला चाय ।
टपरी वाली चाय ।
या यूं कह ले चाय एक मोहब्बत है हम लौंडो के लिए और लाज़िमी तो इतना कि भैया दिल दे बैठे हो जैसे ।
कभी कभी लगता इश्क़ और चाय में बहुत कॉमन सी बात है दोनों एक दूसरे के पारदर्शी है । अक़सर टपरी पर यारों संग चाय पीना मानों भगवान से भेंट होने का अहसास दिला देता है । कभी कभी सोचता हूं ये कॉफी वाले कितने अंजान है और ये फाइव स्टार वाले उन्हें ज़रा भी इल्म नही टपरी पर अपने देसीपन का आनंद लेते हुए जो चाय की चुस्की लिया जाता है मन मंत्रमुग्ध हो जाता है । वैसे चाय और सुट्टे का डेडली कॉम्बिनेशन है या ये कह लो चाय बिना सुट्टा अधूरा सुट्टा बिना चाय । लेकिन हम ठहरे थोड़े सीधे साधे शरीफ़ तो सुट्टा को अपने कॉम्बिनेशन से हटा दिए और सिर्फ़ चाय ही चाय रहने दिए ।
वैसे चाय न इश्क़ माफ़िक है साला कोई बच ही नही सकता बस अंतर इतना सा है इश्क़ काट देता है और चाय से कट जाती है …दिन भई !
ख़ैर ! टपरी वाली चाय उस माशूका की तरह है जो हर कोई नही समझ सकता वो कहते है न नज़र से नज़र मिली प्यार हो गया ।
चाय मोहब्बत है यार ! टपरी वाला चाय बोले तो देशी मोहब्बत ।
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