झॉसी वाली रानी (बलिदान दिवस )
नाम लक्ष्मी पर दुर्गा थी,
मूरत थी स्वाभिमान की।।
आज जरूरत फिर भारत में,
झॉसी वाली रानी की।।
जैसा देश बटा था पहले,
राजाओं के अधिकार में।
वैसी दलगत राजनीति अब,
सत्ता पाने की तकरार में।।
कोई बढ़ नेतृत्व सम्भालें,
शक्ति दिखा दे नारी की ……
आज पडोसी आँख दिखाकर,
गीदड भभकी देते है।
कायरता पूर्ण हरकतो द्वारा,
बार बार उकसाते है।।
पुन: कहानी दोहराओं,
जंग लगी तलवार की़……..
गली गली गद्दार बसे है,
अपना पराया नहीं जानते।
शासन का भय नहीं किसी को,
सरेआम नारी को लूटते।।
कर संगठित नारी सेना,
समाज को दिखादे मर्दानगी…….
आतंकवादऔर उग्रवाद से,
झुलस रहा है भारत सारा।
अपने ही दुश्मन बन बठे,
भूल गये है भाईचारा।।
प्राण निछावर किये देश हित,
अब लोकतंत्र के आन की। ़़़़़़़़़.
राजेश कौरव “सुमित्र “