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14 Jul 2017 · 1 min read

झूले

देख प्रिय झमाझम मेघ बरसते,सावन के झूले पड़े हैं।
छम छमाछम गिरतीं बूँदें से नीमतरु निंबोली पके है।
चम चमाचम बिजरिया चमके रही देखो बीच अंबर के।
विरहन प्रेयसी पी बिछोह के तम में,सपने जागे अंतर्मन के।

देखो पगली झूल रही अंखियों में सपने बुनकर।
अश्रु फुहार झरने सी झरती,सुलोचना मन भर भर।
विरह बयार बह रही,झरते पात मर्मर तरु चर्चर।
अग्न अनल से लगें विरह में क्या तारे शशि दिनकर।

पींघ बढ़ाकर पात तोड़ती,ताड़ों से दल के दल।
लंबी पींघ सजन देते थे, याद करे बीते हुए पल।
अल्हड़ नटखट दामिनी थी वह चपल अति चंचल।
हंसमुख खिलखिलाती आंखों से अब झरें आंसू झलमल।

नीलम शर्मा

Language: Hindi
536 Views
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