*झूले पड़ ही जाते हैं (कुछ शेर)*
झूले पड़ ही जाते हैं (कुछ शेर)
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1
ये सावन सिर्फ आता है हमारे देश भारत में
यहाँ जब झूमता है मन, तो झूले पड़ ही जाते हैं
2
ये सावन ये घिरे बादल ये रिमझिम बारिशें देखो
ये मौसम कह रहा मन से, उठो नाचो चलो झूमो
3
यह बोझा हमसे चालाकी का अब ढोया नहीं जाता
हमें थोड़ी-सी बेफिक्री, हमें कुछ भोलापन दे दो
4
ये कितने नकली चेहरे हम लगाएंगे कहो कब तक
हमारा रूप जैसा है, बता दुनिया को अब वह दो
5
तुम्हारे पास आए हैं मोहब्बत चाहते हैं हम
सहारा इस थके -हारे को अपनी बाँह का दे दो
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451