झूला….
विषय -झूला
विद्या-गीत
राधे संग झूला झूल रहे कृष्ण मुरार
सुबह शाम हरे कृष्णा हरे राधा
मेरे होठों पर बस यही नाम
घूम आई मैं जग सारा
मिला ना तुमसा प्यार।
राधे संग झूला झूल रहे कृष्ण मुरार..….
राधा जैसे ही पिंग बढ़ाएं
कृष्ण देख देख मुस्काए
आसमान को छूंती पिंग
राधा तो घबराए
राधा बोल मेरे कान्हा
ऐसे ना करो मुझे परेशान।
राधे संग झूला झूल रहे कृष्ण मुरार….
देख दोनों को बलिहारी जाऊं
मन में मूर्त्त उनकी बसाउं
कैसे सुंदर जोड़ी उनकी
आपके चरणों में हो मेरा बसेरा
करती रहो बस तुम्हारा श्रृंगार।
राधा संग झूला झूल रहे कृष्ण मुरार….
सांवली सूरत संग
माथे पर मोर पंख
होठों पर लाली लाल
आंखों में लगाए हो कजरा
राधा के हो तुम श्याम
चारों तरफ बस यही पुकार।
राधे संग झूला झूल रहे कृष्ण मुरार……..
हरमिंदर कौर
अमरोहा यूपी
मौलिक रचना