[[[[झूला]]]]
झूला
// दिनेश एल० “जैहिंद”
सबके मन को भाए झूला !
क्या लँगड़ा, क्या हो लूला !!
सब चाहें मैं तो झूला झूलूँ !
पेंग बढ़ाके नभ को छू लूँ !!
हर मेले की रौनक है झूला !
सबकी इच्छा झूलना झूला !!
बिन झूला हरेक मेला सूना !
झूले से बढ़ जाए मस्ती दूना !!
महिलाओं का प्यारा झूला !
बच्चियों का ये न्यारा झूला !!
बच्चों का तो सहारा झूला !
युवाओं का है दुलारा झूला !!
गुड्डी, गुड़िया, मोनू व मुन्ना !
सब चाहें भई आसमां छूना !!
चुन्नू, मन्नू, रति, रानी, राजा !
सब कहते- आ जा, आ जा !!
चरखी झूले, कोई ब्रेक झूले !
जम्प झूले तो कोई नेट झूले !!
हँस-हँस झूले, सो-सो झूले !
झूले, मगर कोई रो-रो झूले !!
नौका झूले, गोल-गोल घूमे !
ड्रैगं झूले, गोल-मटोल घूमे !!
जब-जब घूमे, ये घरती घूमे !
खुद घूमे तो खेत-परती घूमे !!
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दिनेश एल० “जैहिंद”
19. 07. 2019