झूला सजा दो
मांँ मेरी तू झूला लगा दो,
उसमें बैठ मैं झूलूंँगी,
मांँ मैं हूंँ तेरी गुड़िया रानी,
तू मुझको झूला झूलाएगी,
बैठ झूले में हवा में खेलूँ,
सावन भादो के बाहर में,
घर के आंँगन में झूला सजा दो,
हृदय में प्रेम जगा लो मांँ,
सखियों के संग झूलूंँगी मैं मांँ,
तुझको भी सखी बना लूंँगी,
बचपन की यादें हृदय में बसी है,
झूला झूलने की अब मेरी है बारी।
#बुद्ध प्रकाश;
**मौदहा हमीरपुर।