झूला झूलें रे किशोरी
झूला झूलें रे किशोरी
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डारन पै झूला डार,
किशोरी झूलें हरे-हरे, किशोरी झूलें बागन में ।
डारन पै झूला डार ।।
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सजी-धजी सब सखियाँ मिल कै, ललिता के सँग आईं ,
चंदन की महकै रे पटली, रेशम डोरी लाईं ,
किशोरी झूलें हरे-हरे ,किशोरी झूलें बागन में ।
डारन पै झूला डार ।।१
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चल कै आई संग बाग में श्री वृषभानु किशोरी ,
अमवा की डारी पै डारी ,सखियन नै मिल डोरी ,
किशोरी झूलें हरे-हरे, किशोरी झूलें बागन में ।
डारन पै झूला डार ।।२
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झूला पै चढ़ राधा जी नें ऊँची पेंग बढ़ाई ,
झोटा देय विसाखा प्यारी, ललिता लख मुसकाई ,
किशोरी झूलें हरे-हरे, किशोरी झूलें बागन में ।
डारन पै झूला डार ।।३
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सावन के फिर गीत सुहाने ,मिल सखियन ने गाये ,
साँवरिया उत ग्वालन के संग, घूमत-घूमत आये,
किशोरी झूलें हरे -हरे , किशोरी झूलें बागन में ।
डारन पै झूला डार ।।४
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डार गले गलेबहियाँ झूलें , सँग में कृष्ण मुरारी ,
छेड़ी तान मुरलिया की फिर, साँवरिया ने प्यारी ,
किशोरी झूलें हरे-हरे, किशोरी झूलें बागन में ।
डारन पै झूला डार ।।५
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नन्हीं-नन्हीं परें फुहारें, सरसावै पुरवैया ,
कोयल कूकै मोरा नाचैं ,चहकै रे गौरैया ,
किशोरी झूलें हरे-हरे, किशोरी झूलें बागन में ।
डारन पै झूला डार ।।६
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अम्बर ते बरसै रे मेहा, उर में नेहा बरसै ,
छवि के दरशन करकै भोरे, भगतन कौ मन सरसै ,
किशोरी झूलें हरे-हरे, किशोरी झूलें बागन में ।
डारन पै झूला डार ।।७
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-महेश जैन ‘ज्योति’
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