झूम मस्ती में झूम
धूम मची है धूम, झूम मस्ती में झूम।
खुलकर नच ले, खुलकर मस्ती में झूम।।
धूम मची है ——————–।।
आ ले ले मजा, तू इस जिंदगी का।
कर ले थोड़ा नशा, तू दीवानगी का।।
ऐसे नहीं उदास हो, तुझमें बहुत है दम।
खुलकर नच ले, खुलकर मस्ती में झूम।।
धूम मची है —————————।।
क्यों अकेला वहाँ है, शामिल महफ़िल में हो जा।
जीना नहीं है गमों में, काबिल हस्ती में हो जा।।
पौंछ आँखों के आँसू , और भूला दे तू गम।
खुलकर नच ले, खुलकर मस्ती में झूम।।
धूम मची है —————————–।।
अपने कर्मों से हम, नयी इबारत लिख दें।
दिल जो टूटे हुए हैं, उनमें हिम्मत भर दें।।
प्यार से यहाँ रहे, आवो मिलकर हम।
खुलकर नच ले, खुलकर मस्ती में झूम।।
धूम मची है————————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ साहित्यकार
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)