झूम कर आया सावन
सावन सगुन मनाइये झूला झूलौ जाय,
पैंग बढ़ाइ लेउ पकड़ बदरा उड़ नहि जाय।
बदरा उड़ नहि जाय मेघ बरस पहले यहाँ ,
फिर चाहौ उड़ जाउ या बरसौ चाहे जहाँ।
कह दादू कविराय जल बरसाते श्याम घन,
भले गये दिन आय झूम कर आया सावन।
जयन्ती प्रसाद शर्मा