झूम उठा मधुमास
फूल रहा जमकर फागुन,झूम उठा मन का आंगन
आ जाओ अब प्रिय साजन, ऋतु आईं बसंती मनभावन
प्रेम भरे मन मंदिर की, पिया मूरत तुम पावन पावन
देख रही है राह पिया,तेरी प्रेम पुजारिन
प्रेम प्रफुल्लित प्रकृति ने पिया,नाना सुमन खिलाए
झूम रहीं हैं लता पताएं, गीत बसंती गाए
प्रेम के पावन उत्सव में, पिया याद तुम्हारी आए
लगी मिलन की आस पिया, मधुमास निकल न जाए
विरह अग्नि की ताप पिया,तन मन बहुत जलाए
आतुर है तन मन मिलने को,मन पंछी उड़ उड़ जाए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी