*झूठ-मूठ जो मन में आए, कहना अच्छी बात नहीं (हिंदी गजल)*
झूठ-मूठ जो मन में आए, कहना अच्छी बात नहीं (हिंदी गजल)
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1)
झूठ-मूठ जो मन में आए, कहना अच्छी बात नहीं
भीतर से कुछ-बाहर से कुछ, रहना अच्छी बात नहीं
2)
कभी बगावत करके देखो, मारे ही तो जाओगे
प्रतिदिन घुटन-भरे जीवन को, सहना अच्छी बात नहीं
3)
नदी तभी मोहक लगती है, कल-कल जब करती दिखती
रोते-रोते कदम बढ़ाकर, बहना अच्छी बात नहीं
4)
नवयुग में नारी-शिक्षा की, कीमत सबसे ज्यादा है
सारे पैसों से खरीदना, गहना अच्छी बात नहीं
5)
सुख-दुख ने किसके जीवन में, सोचो की घुसपैठ नहीं
किसी मुसीबत के आते ही, ढहना अच्छी बात नहीं
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451