……. झूठ मुआ रह गया !
….. झूठ मुआ रह गया !
बीत गया अच्छा वक्त बुरा रह गया,
चली गयी सच्चाई झूठ मुआ रह गया ।।
आदमी की भीड़ में कोई इंसान नहीं,
ईमान की हार बेईमान बचा रह गया ।।
खुली आँखों के आगे लूट गई अस्मत,
मर गए इंसान हैवान खड़ा रह गया ।।
भाग गई नेक-दिली दिलों से हमारे,
ले देकर बस दिल में कचरा रह गया ।।
बुजुर्ग क्या चले गए खत्म कहानी है,
खुद्दारी चली गई छल धरा रह गया ।।
कद्रदान नहीं मिले जज़्बात-ए-रूह के,
लौट गयी रूह पिंजर पड़ा रह गया ।।
खुदा का इंसाफ यहाँ देखो बेमिसाल,
मैना मर गयी तोता जिंदा रह गया ।।
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दिनेश एल० “जैहिंद”
27. 07. 2017