झूठ बनाने में लगे हैं
सच्चाईयों को झूठ बनाने में लगे हैं
वो मौके का फायदा उठाने में लगे हैं
सही और गलत की कोई परवाह नहीं है
आजकल तो लोग बस कमाने में लगे हैं
शरीफों की शराफत पर शक जाइज़ है क्या
या लोग यूँही इल्ज़ाम लगाने में लगे हैं
चन्द लम्हों में सुपुर्दे खाक हो जायेगा ‘अर्श’
कई वरस जिस महल को बनाने में लगे हैं