झूठ की परिक्षा
अगर झूठ की परिक्षा लीं जाती तों भी
कई दिलों में संसय हो सकता था
इसलिए सदा से सत्यं की परिक्षा लीं जाती
ताकि किसी के मन में सत्यं के प्रति कोई विकार ना उत्पन्न हो सके।।
हां बहुत दुःख होता हैं विजय शंख से पहले
कई बार चलना पड़ता हैं मुखौटो के बिच में अकेले
हर तूफ़ानों से लड़ना पड़ता
हर मुश्किलों के सामने करना पड़ता
कई बार अपने भी सामने आते हैं
कई बार उनकी शिकायतें भी सुन्नी पड़ती हैं
मगर जो सत्य के राह पर चले
अगर वो थक भी जाए तो उसे थकान नहीं होती
क्योंकि इंसान के ज़ेहन में एक ही बात याद रहती हैं
सत्यमेव जयते, सत्यमेव जयते, सत्यमेव जयते ।।
नीतू साह
हुसेना बंगरा, सीवान-बिहार