झूठ की दुकान
कुछ झूठ की दुकान लगाए बैठे हैं,
कुछ आपसी झगड़े भुलाए बैठे है।
लूट सके इस सारे भारत को वो,
ये उम्मीद आज वे लगाए बैठे है।।
पल रहे है कुछ गलत खानदान,
करा रहे है देश में गलत मतदान।
मुफ्त पानी बिजली देकर है वो,
लूट रहे है आज वे पूरा हिंदुस्तान।।
देश में भ्रष्टाचार का बोल बाला है,
यहां सच्चे के मुंह पे लगा ताला है।
न्याय न्यायालयों में है बिक रहा,
अब तो ऊपर वाला ही रखवाला है।।
आदमी आदमी के तलवे चाटने लगा है,
मतलब से गधे को बाप बनाने लगा है।
जब मतलब निकल जाए उसका,
पतली गली से वह निकलने लगा है।।
कुछ खानदान पानदान भी बेच रहे है,
कुछ देश अपना खानपान बेच रहे है।
कुछ लोग तो इतना गिर चुके है आज,
वे अपना धर्म ईमान भी बेच रहे है।।
आज आदमी आदमी को काटने लगा है,
हर आदमी अपना ज्ञान बांटने लगा है।
भले ही वह मूर्ख हो इस दुनिया में,
वह अपने को होशियार समझने लगा है।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम