झूठ का यूँ न नुमाया कर
झूठ का यूँ न नुमाया कर,
सच को भी दिखलाया कर।
दर्द सहे सौ बार हथौड़ा,
फिर न अश्रु बहाया कर।
खुद का खुद हौसला बने पर
यह हल सदा सुझाया कर।
सौ कमियां भूल चला चल
समय को यूँ न जाया कर।।
मन सुंदर विचार का संग्रह
नफरत न सजाया कर।
दर्द बढ़े जब दिल का अपने
गीत बनाकर गाया कर।।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र