*झूठ का तर्पण*
फूलों से महकते हैं जो,
वही दिलों को सुकून देते हैं,
कुछ नहीं करना है तुम्हें,
जीवन इश्क़ को अर्पण कर लो
जिसके मन में बसी रहती है सच्चाई,
वो ही जीतते हैं यहां
सच की राह पर चलो,
भले ही कितने ही दर्द सहन कर लो
सपने तुम्हारे हों अगर,
तो उन्हें पूरा करने का जज्बा रखो,
चाहे कितनी भी हो कठिनाई,
मंजिल को हासिल करना है,
मन में ठान लो
साथ हो प्यार का ज़िंदगी में
तुम हमेशा सच का साथ दो
झूठ से दिल का बोझ हलका कर लो
जीवन इश्क़ को अर्पण कर लो
ग़म और ख़ुशियां,
दोनों का साथ है हमेशा,
पर कभी हार मत मानो,
यही जीवन का ध्येय कर लो
अपने अंदर की शक्ति को पहचानो,
और दुनिया को दिखाओ,
कभी डरकर भागना नहीं,
हर मुश्किल से लड़ने का इरादा कर लो
हमेशा दिल से मुस्कुराओ,
दीन दुनिया की परवाह मत करो,
तुम्हारी मेहनत ही तुम्हारी पहचान बनेगी,
सत्य का तुम रास्ता चुन लो
कभी खुद से प्रेम करो,
और फिर दूसरों को भी प्रेम देना,
झूठ का तर्पण कर लो,
जीवन इश्क़ को अर्पण कर लो
ख़्वाबों को अपने साकार करो,
और आकाश को छूने का जज्बा रखो,
दुनिया कहेगी तुमसे, “यह नामुमकिन है”,
फिर भी तुम आगे बढ़ने का इरादा कर लो
शरीर थक सकता है,
पर आत्मा को कभी थमने न देना,
सच्चे इश्क़ की राह पर,
अपने कदम हमेशा बढ़ाते रहना
झूठ का तर्पण कर लो,
जीवन इश्क़ को अर्पण कर लो
हर दिन एक नई उम्मीद का सूरज चमकेगा
वैसे तो कभी गिरो मत,
गिर भी गए तो ख़ुद को सम्भाल लो
कभी अकेले रह कर भी,
अपने सपनों को बड़ा करो,
झूठ का तर्पण कर लो,
सच को अपनाओ और जीवन इश्क़ को अर्पण कर लो।