झूठा निकला क़रार तेरा
झूठा निकला क़रार तेरा
अब कैसा इंतज़ार तेरा
रात भर मोती आते रहे
ऐसा है आज इंकार तेरा
मयकदे से दोस्ती कर ली
अब नही हूँ मैं यार तेरा
मौसम की तरह बदल गए वो
अब नही है बावफ़ा यार तेरा
एतबार था उन पर कल तक
झूठे वादों का तेरे कैसे करूँ ऐतबार तेरा
रूह भी उससे मिल बैठी है
अब रूह पर भी है अधिकार तेरा
कैसा ज़हर दिया तूने
मेरा ज़िस्म भी है अब गुलाम ख़रीदार तेरा
हर गली मौहले में चर्चे है उसके
अब हर जगह नाम है शुमार तेरा
“भूपेंद्र” अक्सर दीवाना बने फ़िरता है
जैसे हर गली में है घर बार तेरा
भूपेंद्र रावत
29।07।2017