झूठा किरदार होगा
ग़ज़ल
काफ़िया-आर
रदीफ़-होगा
122 122 122 122
कि झूठा तुम्हारा ये’ किरदार होगा।
नहीं थी ख़बर दिल ये’ बेज़ार होगा।
नही जानता था बसाकर ह्रदय में
कि जीना हमारा ये’ दुश्वार होगा।
कि बेहद जिन्हें प्यार हमसे हुआ था,
उन्हें प्यार मेरा ये’ इनकार होगा।
कभी दोस्त थे हम, मगर दुश्मनों सा
नही जानते थे कि तक़रार होगा।
कि ये सोचकर प्यार तुमसे किया था
कभी तो मुहब्बत का’ इज़हार होगा।
मगर आपने घाव ऐसा दिया,जो
नही दुश्मनों का कभी वार होगा।
अदम्य