झुर्रियों तक इश्क़
झुर्रियों तक इश्क़ निभाओ तो कोई बात बने।
मेरा हर नाज़ उठाओ तो कोई बात बने।
बढ़ती उम्र में घुटनों में मेरे , दर्द ग़र होगा।
तुम मेरे लिए झुक जाओ ,तो कोई बात बने।
कुछ वादे ,कुछ कसमें ,जो जवानी में किये
अब तलक याद रख पाओ,तो कोई बात बने।
हमसफ़र तुम हो तो ,ये सफ़र बहुत हंसी है
फूल की तरह मुस्कराओ ,तो कोई बात बने।
पास बैठ कर बात करें ,इस हंसी सफ़र की
अगर चाय भी पिलाओ ,तो कोई बात बने।
सुरिंदर कौर