झुक न पायेगा कभी झंडा वतन का ।
—- ————ग़ज़ल—————-
झुक न पायेगा कभी झंडा वतन का ।
है जवां हर नागरिक बंदा वतन का ।
मात देगे दुशमनों की चाल को अब ।
ले चुके हम खून से बदला वतन का ।
राहे मुश्किल है जरा हिन्दोस्तां की।
जीत लाना हो तुम्ही तमग़ा वतन का ।
कल बनेंगे रीढ़ हम निज देश की भी ।
जान दे टालेंगे हम ख़तरा वतन का ।
रोक देंगे आ रही हर मुश्किलों को ।
हल करेगें हम स्वयं झगड़ा वतन का ।
छोड़ करके पश्चिमी अब सभ्यता हम ।
चल करे प्रयोग निज कपड़ा वतन का ।
हिन्द की गरिमा सदा रकमिश बढ़ाना ।
जान दे, देना कठिन पहरा वतन का ।
Ram Kesh Mishra