झरोखे की ओट से
झरोखे की ओट से
कुछ तलाशती है ज़िन्दगी!
कुछ पाने की आशा से
कुछ होने की आशा से
छोटे से झरोखे की ओट से
कुछ आभासती है ज़िन्दगी !!
जो जो मिला सब है अधूरा
पूर्ण पर क्या हो भरोसा ?
पथ के निरंतर खोज में ही
खुलता रहा ये मन झरोखा।
ज़िन्दगी कैसे उदास हो ?
जब आस को टिमटिमाने की
बस वही एक पथ निराला
चाह हो मिट जाने की।